अगते आ आज

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# अगते #
फूलल फूलल गाल रहे अँखिया नशीली
चलला पो बिजुरी गिरे रंगत रंगीली

चढ़त रहे रोज रोज जवानी पर पानी
अचके में होत रहे बेबुझले नादानी

जोश के जबाब नाहीं होश रहे हारल
दरद बा अबहींओ जवन आँख रहे मारल

लाल रंग देखके मारात रहे पैडल
कहो कबो पड़ जाय कपारे पो सैंडल

मन अहथिराइल आ जोश भइल नरम
दीदार भइल आँख से तऽ मिट गइल भरम

# आज #

लता लौंग चर्बी चढ़ल , पतझड़ भइल कपार
टिमकी फेंकल पेट में , भइलसि जीभ लबार

प्यार मुहब्बत पैंतरा , हरपल बदले रोज
रक्तचाप मधुमेह के , पलटी खाये डोज

बदरी गरजे उदर में , मय निगार बा बंद
आफत में जियरा पड़ल , मतिया भइलसि मंद

कमर काम नइखे करत , घुटना करे कुलेल
जब ओके मोका मिलल , चलत बिगाड़े खेल

मोटा चश्मा चढ़ गइल , काने लागल ठेप
प्राणवायु के सुँघनी , पल-पल बदले खेप

कन्हैया प्रसाद “रसिक”

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