जिनिगी

0
991

सझुराईं, अझुराइल जिनिगी
लाटा अस लटिआइल जिनिगी

कहाँ से आवे, जाले कहवाँ
कहवाँ रहे लुकाइल जिनिगी

छान्हि, नून, लुगरी के चक्कर;
चक्कर में चकराइल जिनिगी

दउरत, भागत जोहीं रोजो
जाके कहाँ लुकाइल जिनिगी

अपने बनिके चूसि लिहल सब
खून बिना पिअराइल जिनिगी

जाड़े किंकुरी मरले सूतल
गुदरी पर गुँटिआइल जिनिगी

बहुत अभाव में बीतत, बाकी
कबिता लिखत धधाइल जिनिगी

चलऽ फुलेसर मोटरी बान्हऽ
देखते-देखत ओराइल जिनिगी

संगीत सुभाष

✍संगीत सुभाष,
मुसहरी, गोपालगंज।