जीवन जटिल पहेली

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ई जीवन जटिल पहेली ह,
जे बूझ गइल से बूझ गइल।
जे ना बूझल ऊ भटक गइल,
ओकरा कुछ अउरी सूझ गइल।।

जे बूझल जीवन दुर्लभ ह,
ऊ जीये के मन्तर सिखलस।
जीवन के सही अर्थ जनलस,
जीवन के ऊ रहस्य लिखलस।।

बूझल जे रंगमंच दुनियाँ,
अपना के कलाकार मानल।
समझल आपन दायित्व इहाँ,
कुछ साथ ना जाई ई जानल।।

जे बूझल जिनगी के माने,
ऊ दीन हीन के मदद कइल।
हर संभव ऊ कोशिश कइलस,
दुनियाँ में ओकर नाम भइल।।

जे ना बूझल एकर रहस्य,
दोसरा के कुछऊ ना बूझल।
कवनो नीमन ना काम कइल,
खाली शैतानी ही सूझल।।

छीना-झपटी आ लूटपाट,
व्यभिचार में ओकर मन लागल।
हत्या, अपहरण कइल फट से,
जब-जब पापी मनवाँ जागल।।

जे मोल ना जानल जीवन के,
सबदिन बिनास के बात कइल।
अधरम, कुकर्म के चर्चा ऊ,
भोरे साँझे, दिनरात कइल।।

ई जीवन ह अनमोल बड़ा,
आईं हमनीं सत्कर्म करीं।
जे बा निरीह, निःशक्त इहाँ,
ओकरा जीवन में खुशी भरीं।।

✍️अखिलेश्वर मिश्र