अंजन जी के सादर ?? सरधाजंली* *दोहा**

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सादर सुमन अराधना,अंजनजी कविराय।
अर्चन पूजन बंदना,पग में सीस झुकाय।।

चंदन के तरु बाग में,गमगम करे बयार।
अंजन जब नैना परे,जगमग हो संसार।।

काव्य धरोहर आपके,भाव भेंट उपहार।
अंजनजी के गीत में,लोक रीति के सार।।

पावन जल असमान में,सरवर तरपे मीन।
समझ न आवे का रचीं,बानी सब्दबिहीन।।

अमरेन्द्र कुमार सिंह,
आरा, भोजपुर, बिहार।