एक कप चाय

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एक कप चाय…

एक कप चाय
खाली दूध चीनी के घोले ना ह
प्रेम के उपहार ह
अतिथि के स्वागत
आगंतुक के सत्कार ह

एक कप चाय
कुछ ना
खाली बात करे के बहाना ह
बराबरी के सूचक अउर
प्रेम के ठेकाना ह

अमीर के चाय
गरीब खातिर उपहार ह
गरीब के चाय
अमीर के सत्कार ह
ए व्यस्तम जीवन में
जहां समय के अभाव बा
उहां अतिथि के स्वागत में
चाय के प्रभाव बा

हारल थाकल के पंथ ई
बुजुर्ग खातिर फुर्ती ह
सभ्यता के प्रतीक ई
भावना के प्रतिमूर्तिं ह

चाय त बहाना ह
दोस्त के घरे बोलावे के
घूँट घूँट में प्यार भरल बा
एक दोसरा पर लुटावे के

चाय एगो मानक ह
मानव जीवन स्तर के
के बड़ा आ के छोटा
के बा नीचे ऊपर के

बन जाला अमृत ई
जहाँ प्रेम के होला रूप
बन जाला उहवाँ जहर
अपेक्षा के गर होखे धूप

चाय अगर ना मिले यदि
केहू के दरबार मे
होला बड़ा शिकायत ओकर
ए भौतिक संसार में।

सुजीत सिंह
सारण