कटनी हेमंत दुख जोर परदेसिया

0
618

गीत

कटनी हेमंत दुख जोर परदेसिया।
लेसे बसंत कंत मोर परदेसिया।।

कातिक में गइले पिया तजि के सजरिया।
कोई धनबाद कहे कोई कहे झरिया।
मिले नाहिं पियवा के खोजिया खबरिया।
फोन नाहीं तार नाहीं चीठ्ठिया पतरिया।
बाट जोहत रोज ताकिना अटरिया से-
हहरेला अंग पोरे पोर परदेसिया।।

पीत रंग सरसो फुलइली कियरिया।
नील रंग तीसी के पढ़वा किनरिया।
लहलह हरियर लागेले बधरिया।
अरहर मटर बूट अँकरी खेसरिया।
पिउ पिउ पपीहा बोलेले फुलवरिया-
कोइलर करे मीठ सोर परदेसिया।।

आइ गइले फाग मास पियवा सहरिया।
फुलि गइली जुहिया चमेली झरबेरिया।
खिलि गइलें ओढ़हुल कनइल कनेरिया।
कोमल कमलिनी कुमुदुनी पोखरिया।
देखि हूक उठेला अफरेला भीतरिया-
बहे नयना झरझर लोर परदेसिया।।

अमुवा के डाढ़ि धइले मीठरस मोजरिया।
लदरलि बइरिया कोचाइल महुअरिया।
नन्हीमुकी कलिया के फैललि पँखुरिया।
मधु रसपान करे भँवरा भँवरिया।
बाट जोहत हम ताकिना अटरिया से-
ताकीं कबो मोड़ कबो खोर परदेसिया।।

ताना मारे दिन रात ननदी लहुरिया।
सखिया सहेलरी भइली लरकोरिया।
धइले रंग फीका भइले गवना की सरिया
आग लागो बजर परो सौतिन नोकरिया।
छछनाला काया मोर सुसुके सेजरिया-
काहे गइलऽ हमरा के छोड़ परदेसिया।।

अमरेन्द्र कुमार सिंह,
आरा, भोजपुर, बिहार।