भोजपुरी दोहा

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“भोजपुरी दोहा”
अब ना लौटी ऊ कबो, पहिले वाली बात।
ना ढेंकीं कूटल मिली, चाउर के अब भात।।१

मत सोंची की अब मिली, घर के पिसल पिसान,
नूडल,मैगी खा रहल, लइका, बूढ़, जवान।।२

सीलबंद अब मिल रहल, तेल, मसाला ,नीर।
स्वीगी से घर आ रहल, चीकेन, मटन, खीर।।३

देखीं कहाँ पहुँच गइल,आज चीन, जापान।
ढेंकी,जाँत कहाँ मिली, ना ओकर सामान।।४

भागदौड़ के समय में, बदलीं हमनीं सोंच।
ना तs लोग इहे कही, बुढ़वा बाटे खोंच।।५


अखिलेश्वर मिश्र