भोजपुरी सबद संपद – भाग-१

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मटकी- आँख के इशारा। माटी के
छोटहन घड़ा। “बुड़बक रसिया
अन्हार घर में मटकी।”
मटुकी- माटी के घड़ा। “कंकरि मारि
मटुकिया फोरी।”
मुटकी/मोटकी- थुलथुल स्त्री।
बइरही- एक तरह के माटी।
बउरही- सनकी।
सारि- साला।
सारी- साड़ी। “अबहीं उमर मोरा बारी,
आइल गवनवाँ की सारी। ”
सउरी- जच्चाघर।
खर- गदहा। तृण। आँच प तपा के
परिष्कार।
खार- क्षार। जलन।
खीर- दूध में बनल मीठा पाक।
खुर- चौपाया जानवर के पैर के कड़ा
टाप।
खोर- सँकरी गली। “खेलन हरि निकसे
ब्रज खोरी।”
खोंढ़- कोटर। दाँत के छेद।
खँढ़ी- घर के हिस्सा जवना में जानवर
बन्हा ले। गृहखंड।
गउरा- पार्वती।
गैर- दूसरा। अन्य।
गेर- लाल माटी। गैरिक।
गरू- जानवर।
अनगैरी–अनजान ।
नाँइ- नाम।
नाइ- नाव।
नाई- हज्जाम।

✍ दिनेश पाण्डेय, पटना, बिहार