माई   छोड़    परइलS   बाबू

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माई   छोड़    परइलS   बाबू।
मेहरी   संग  बन्हइलS  बाबू।।

पहिले  तू  रहलS घर तोड़न।
भइलS बाबू अब कुलबोरन ।
बिन पेंदी के लोटा जइसन-
सबका  तू  चिन्हइलS  बाबू।
माई    छोड़  परइलS  बाबू।।

आस   रहे  तोहसे माई के।
जिनगी  रहलS बड़ भाई के।
आस पे पानी फेरलS सबके।
गजबे आज  तितइलS  बाबू।
माई    छोड़  परइलS  बाबू।।

भऊजी  के  तू  लहुरे देवर।
आज बदललS आपन तेवर।
आग लगाके  अपने घर में।
मेहरि  पीछे  लुकइलS बाबू।
माई   छोड़   परइलS बाबू।।

सबके आँख क रहलS तारा।
जइसे जुगनू अउर सितारा।
घर अंधियार बनाके आपन
नीयत  खूब दिखइलS  बाबू।
माई   छोड़   परइलS   बाबू।।

✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’