माई दुर्गा

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1981

माई दुर्गा के भइल उतपति सभ देवता लो के सहमती से।
दुर्गा नाँव से मशहूर बाड़ी महामाया काली गौरी सती से।।

महिषासुर मर्दिनी के केना जानेला पार्वती के ।
देवी दुर्गा रक्षा करस हाथ जोरेनि भगवती के ।।

साल में दु बेर मने नवरात्री चइत अवरू कुवाँर में।
केतना निमन लागे ओ घरी माई के दरबार में।।

सभ देवतन के मारे चाँहत रहे महिषासुर।
एने ओने सभ के सभ भागले रहे दूर।।

केहू ना ओकरा सोझाँ जाव टिक ना पावें एको पल।
देवता दल पs हावी रहे लें के भैंसा दानव दल।।

संसार में सत्ता चाँहत रहें मचवले रहें हहकार।
देवता लोग के एक ना चले खाली जाव सभ वार।।

हार पाँछ के सभ देवता लो गइल ब्रम्हा जी के पास।
ब्रम्हा जी देख चकित हो गइले सभ के चलत रहे तेज साँस।।

बात बतावल लो सभ उनसे सृष्टि के रउवा हई रचइयाँ।
रउवें हाथ में सगरो बाटे अब रउवें देखाई रहियाँ।।

ब्रम्हा जी सभके सात्वना दिहलें कहलें जल्दियें होई निदान।
महिषासुर के वध होई हाली सभ कर होई कलयान।।

माई दुर्गा के कइल गइल रचना देवता लो का शक्ति से।
माई ओंकरा पs खुश रहेली जे पूजा करेला भक्ति से।।

मईया के रूप बहुत सुहावन उनुकर स्नेह झलके ला।
दया दृष्टि के भरल गगरिया सभका पs हरमेश छलके ला।।

दस हाथ में दस गो शस्त्र सोभें सभ देवता लो के दिहल हs।
माई दुर्गा के हs शेर सवारी जवन हिमावंत पर्वत से लिहल हs।।

सँज सँवर के चलली माई महिषासुर के मारे।
दानव दल के मार काट के देवता लो के तारे।।

भइल घमासान युद्ध महिसासुर अवरू माई में।
माई के हाथे मारल गइल महिषासुर लड़ाई में।।

घर -घर में पूजल जाली माइवों के हई माई ।
छइयाँ पा के निबियाँ के दुःखवा जाला भुलाई।।

## दीपक तिवारी, श्रीकरपुर, सिवान।