*गीत*
माई! अछइत आँखि अन्हार, तनिक उजियार करीं।
माई! हियरा जोति पसार, तनिक उजियार करींं।
शतदल कमल प असन सुहावन
स्वेत बसन मन हरखित पावन
माई! उज्जर हंस सवार, तनिक उजियार करीं।
होत कृपा गुन गूंगा गावत
हाथ जोरि धनि धनि गोहरावत
माई! चरनकमल बलिहार, तनिक उजियार करीं।
बीना पुस्तक हाथ बिराजत
अतुलित बुद्धि पाइ सभ गाजत
माई! करि देत बिमल बिचार, तनिक उजियार करीं।
नजर फेरि ‘संगीत’ सँवारत
परसि माथ जब मात निहारत
माई! होत सदा जयकार, तनिक उजियार करीं।
संगीत सुभाष,
प्रधान सम्पादक, सिरिजन।