बसंती आगम

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चहुँओरिया छवलसि हरियरी, बसंती आगम जनाता।
गोरी बेसाहेली चुनरी, बसंती आगम जनाता।

संगीत सुभाष

मोंजरि का अँचरे लुकाइल टिकोरा
तितली कुलाँचेले भँवरा का जोरा
मांगेली नगवाली मुनरी, बसंती आगम जनाता।

तीसी बतीसी के रहिला रिगावे
गेहूँ गुँड़ेरि आँखि ताके, धिरावे
माथे सरसो बान्हे पियरी, बसंती आगम जनाता।

कूदे बछरुआ तुरावेला पगहा
मादक पवन, गंध पसरल सब जगहा
पागल मन लागे ना सुधरी, बसंती आगम जनाता।

सजनी बोलवली ह साजन के अँगना
जाईं, लिआईं अबे गोड़रंगना
डालि आँखिन में आँखि कजरी, बसंती आगम जनाता।

✍ संगीत सुभाष,
मुसहरी, गोपालगंज।

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