करताड़S रोज बाउर

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भोजपुरी गीत

करताड़S रोज बाउर ताबर तोर मनवाँ ।
कइसे होई सोचS भीतरी अँजोर मनवाँ ।।

जवन करे के तवन भुलाइल ,
जियरा जोखिम में अझुराइल।
सगरो समय अनेरे जाता ,
नीमन बाउर नाहिं चिन्हाता।
अहा !देखि लS हरिकृपा के कोर मनवाँ ।

गुनवा हर जगही पूजाला ,
बाउर देखलो बाउर कहाला ।
आ जाई जब मन में होश ,
नीमन मिली सुख संतोष ।
गुन सुख ,दोष देला अखियाँ लोर मनवाँ।

जग में शेखी -शान जे झारल ,
अवगुन जिनिगी भर निहारल ।
घुमि के अपना ओर ना ताकल ,
नाहीं सतसंगति में पाकल ।

उहे जग में कहाइल डाकू -चोर मनवाँ ।

जे सुधरल खुद में समाइल ,
उहे सभ साधु -संत कहाइल ।
आपन सगरो सुख भुलाइल ,
नेक नीयत से नेक कमाइल ।
दोष दुसरा के डाली बिसभोर मनवाँ ।

जहिया आपन होई सुधार ,
सुधरल लागी सभ संसार ।
हर में हरि के बोध हो जाई ,
सब केहु लउकी आपन भाई ।
कहे “बाबूराम कवि “कर जोर मनवाँ ।


बाबूराम सिंह कवि
ग्राम -बड़का खुटहाँ ,पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा )
जिला -गोपालगंज (बिहार )