बिछी देशवा में हमरे बिसात बा।देशवा बिलात बा ना।

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बिछी देशवा में हमरे बिसात बा।देशवा बिलात बा ना।।-२
सत्ता के लिए जुगाड़,करते देश का कबाड़।
करते देश का कबाड़-२
रोज रोज इहाँ होत खुरापात बा।।
देशवा ———-
जाति धरम सम्प्रदाय,करते रोज हाय हाय।
करते रोज हाय हाय-२
वीर शिवाजी क करनी भुलात बा।।
देशवा———–
मुखिया सब करें हड़ताल,आमजन सभी बेहाल।
आमजन सभी बेहाल-२
रानी लक्ष्मी क करनी भुलात बा।।
देशवा———-
करते आंदोलन अजीब, किसान नेता बेतरतीब।
किसान नेता बेतरतीब-२
बिगड़ा देशवा क हमरे हालात बा।।
देशवा———-
युवा छात्र मजदूर,त़ोड़ें देश का गरूर।
तोड़ें देश का गरूर-२
वीर भगतसिंह क सपना बिलात बा।।
देशवा———
कहते जनहित की लड़ाई,लड़ते खुद के लिए भाई।
लड़ते खुद के लिए भाई-२
चंद्रशेखर क करनी भुलात बा।।
देशवा———
नाहीं देश क बा चिंता,जीते खुद के लिए नेता।
जीते खुद के लिए नेता-२
करता रोज रोज इहाँ उतपात बा।।
देशवा————
  • पं. शिवप्रकाश जौनपुरी (संस्थापक : काब्य सृजन, मुम्बई)