सीकिया कै डड़िया
फनाइदा मोरे बिरनू
भिनही चलब
आपन घाट हो
मियना के परदा
उठाइ के जो निरेखब
लउकी आपन
छुटल बाट हो
अमवा तरे अब
न कुहुकि कोयलिया
सूखि जाई महुआ
कै पाग हो
चिरई के जियरा में
अगिया लगाई कै
छोड़ि जाइब गँउआ
जवार हो ।
✍श्लेष अलंकार,
बस्ती, उत्तरप्रदेश।