गीत
हिया खुश रही तबे होखी जगत कल्यान ए माई।
भरि द$ सबुर संतोष मन बन जाई धनवान ए माई।
ना बंगला ना गाड़ी,ना धन-दौलत अथाह चाहीं,
ना हीरा मोती ए मैया ना गुनवे गहिराह चाहीं।
तनवा स्वस्थ मन रखिहा मोरा शीलवान ए माई,
भरि द$ सबुर-संतोष……………….
हाथ कपरा प फिराईं हटे हिया से भरम के काई,
सही पटरी प तन के गाड़ी खूब सरपट हम दउराईं।
सदा बनइले रहिह$ हमरा के तू नादान ए माई,
भरि द$ सबुर-संतोष………………..
खिलल रहो मन के बगिया में सच्चाई के फूल सदा,
दुःख हरत रहो सभकर कंठवा कोइल जस बोल सदा।
घूम-घूम बाँटत रहतीं सभके हम मुसकान ए माई,
भरि द$ सबुर-संतोष………………..
विमल कुमार,
जमुआँव, भोजपुर, बिहार।