मन करे खाईं सोन्ह माटी
कि भीति के खँखोरी नु हे,
ललना-
धनिया जे कहेली बलमु जी से
भूजि दीं तिसौरी नु हे।।
भावे ना करइला के भरूआ
ना पोई के तरूआ नु हे,
ललना-
हटिया से लाईं दिहीं इमिली
कि खाइबि हम खटउरी नु हे।
धनिया जे कहेली••••••••••••।।
तनिको रूचे ना खीर जाउर
त पुआ लागे माहुर नु हे।
ए ललना-
आगि में पकाई दीं फुटेहरी
कि लगाई दीहीं भउरी नु हे।
धनिया जे कहेली•••••••••••••।।
भावे ना पलंगरी गलइचा
ना खड़िया बगइचा नु हे,
ललना
अंगने बिछाइ दीं खटोलिया
कि बान्हि दीं मुसेहरी नु हे।
धनिया जे कहेली•••••••••••••।।
सूजि गइली कोमल कलइया
कि बथेला कमरिया नु हे।
ए ललना
पोरे पोरे लेसेला दरदिया
कि सोहर उठे सउरी नु हे।
धनिया जे कहेली••••••••••••••।।
✍️ अमरेन्द्र सिंह, सह सम्पादक- सिरिजन,
आरा, भोजपुर, बिहार।
बहुत निमन रचना बा, जभो-जभो
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