भोजपुरी ग़जल
मन करे विस्तार लीं आकास जस ।
देह थथमल रह गइल अवकाश जस ।।
डबडबाइल आँख धइले नीर के ।
जिन्दगी के राह बा परिहास जस ।।
सांस के गरमी गवाही देत बा ।
नाक में फोरा परल गर फाँस जस।।
धुकधुकी भंसार के अर्घट नियन ।
भावना में राम के अहसास जस ।।
लोग बा हमरे भरोसे राह में ।
का कहीं बा त्रासदी कैलाश जस ।।
माच पर कोंहड़ करइली साथ में ।
तीत खीरा मिल गइल अविनाश जस ।।
धान के बोझा धइल खरिहान में ।
का पता खखरी खखोरी नास जस ।।
पैंजनी के धुन सुहावन लग रहल ।
निंद से उठनी त फाटल बाँस जस ।।
कन्हैया प्रसाद तिवारी ” रसिक”,
बंगलोर।