माईभाषा के सम्बन्ध जनम देवे वाली माई आ मातृभूमि से बा, माईभाषा त अथाह समुद्र बा, ओके समझल बहुत आसान काम नइखे । भोजपुरिया क्षेत्र के लोग बर्तमान में रोजी रोटी कमाए खातिर आ अपना भविष्य के सइहारे खाति अपनी माँटी आ अपनी भाषा से दूर होत चल जाता, ओहि दूरी के कम करे के प्रयास ह “सिरिजन” । जय भोजपुरी–जय भोजपुरिया, आपन माँटी –आपन थाती के बचावे में प्रयासरत बिया इहे प्रयास के एगो कड़ी बा “सिरिजन” । भोजपुरी भाषा के लिखे आ पढ़े के प्रेरित करे खातिर एह ई–पत्रिका के नेंव रखाइल । “सिरिजन” पत्रिका रउवा सभे के बा, हर भोजपुरी बोले वाला के बा आ ओकरे खातिर बा जेकरा हियरा में माईभासा बसल बिया । ई रउरे पत्रिका ह, उठाईं लेखनी,जवन रउरा मन में बा लिख डाली, ऊ कवनो बिध होखे कविता, कहानी, लेख, संस्मरण, भा गीत गजल, हाइकू, ब्यंग्य आ भेज दिहीं “सिरिजन” के ।
कलमगार लोग से गोहार
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