#जनगनना में माई भाखा के काॅलम में भोजपुरी भरीं।
भइया जोती जराईं अपना अंगना में।
भोजपुरिए लिखाईं जनगनना में।।
भाव से भरल पुरल प्यार के भासा राउर
धड़कन धरोहर इहे एकरे से आसा राउर
कान के झुमका इहे पायल के रुनझुन
भउजी एहके सजाई बाला कंगना में।
भोजपुरिए लिखाईं•••••।।
नेह में पगल डुबल छोह के लासा हउवे
दरी गलइचा इहे सभा जनवासा हउवे
महला अटारी बारी इहे बथानी सानी
दादा एहके भराई चद्दर ओढ़ना में।
भोजपुरिए लिखाईं••••••।।
नैना के काजर ई उल्फत के नासा हउवे
मिसरी मिठाई अ बुनिया बतासा हउवे
बोले में मीठ लागे प्रीति के रीति इहे
चाचा एहके जोगाईं घरे टोकना में।
भोजपुरिए लिखाईं•••••।।
सोहर के सोर इहे कजरी परिहासा हवे
ढोलक नगारा हरमुनिया आ तासा हवे
झाल मंजीरा अइसन बाजे ई झन झन
बाबा रउओ बजाईं अबकी फगुना में।
भोजपुरिए लिखाईं••••••।।
अमरेन्द्र कुमार सिंह,
आरा, भोजपुर, बिहार।