सारी साया लहँगा रंगनी
रंगनी चुनरिया-
मन ना रंगाइल रे सँवरिया।।
ब्रत उपवास कइनी नित अरदास करनी।
बसनी गंगा के कगरिया
मन ना रंगाइल•••••••••।।
रात दिन मंत्र पढ़ि के,हम चतुमास कइनी।
रहनी माया के बजरिया-
मन ना रंगाइल ••••••।।
घीव बाती दिया जारि बहरी प्रकास कइनी।
रखनी भीतर में अन्हरिया-
मन ना रंगाइल•••••••।।
सोना के काया पाई नकली बिलास कइनी।
भुलनी स्वामी के नगरिया-
मन ना रंगाइल••••••।।
✍️ अमरेन्द्र कुमार सिंह,
आरा, भोजपुर, बिहार।