काँच के टुकड़ा गड़ल बा गोड़ में

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भोजपुरी गजल

काँच के टुकड़ा गड़ल बा गोड़ में ।
बथ रहल हऽ का कहीं हर जोड़ में।

गुप्त बातन के उघेटल ठीक ना ।
कूर बाघा छिप रहल लिलघोड़ में

साथ लेके के गइल छेदाम भी,
खेल रोजो हो रहल बा ओड़ में।

जोस हमरे बा अधिक संसार में
जिन्दगी के   सार बा मटकोड़ में ।।

बुद्धि बल सामर्थ्य के हम हीं  धनी
लिप्त बानी कर्म से घर तोड़ में ।।

ई वतन हऽ बुद्ध के महबीर के ।
शक्ति बा संचित सदा दिल जोड़ में ।।

प्यार से कहले रसिक आपन बचन
ना रहेलन सौ करोड़ी होड़ में ।।

~ कन्हैया प्रसाद रसिक ~