कोहरा के टारति ताके किरिनियाँ

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कोहरा के टारति ताके किरिनियाँ,
लउकेला मद्धिम अँजोर हो,
कलकल नदिया जड़ाइल लागे,
उठे बाफ देख घनघोर हो।।००।।

परत किरिनियाँ करे झिलमिल पनियाँ,
सुरुज जइसे गगरी डुबुकावेले कनियाँ।
परत फँकारी उड़ावे अँचरवा,
लहरे चदरिया के छोर हो।
कोहरा के टारति ……….।।१।।

लिहले सनेसवा पवन धरियाइल,
आगे मधुमास चाहत बाटे आइल।।
किकुरल कलिया सुनत सुगबुगाले,
बिहसल ओकर पोर-पोर हो।
कोहरा के टारति ……….।।२।।

फगुआ मनावत अइहें फगुनवाँ।
पोथिया-पतरवा में उचरी सगुनवाँ।।
सपना सजावत पिया घरे जइबो,
तबहूँ नइहर न परी भोर हो।
कोहरा के टारति…………।।३।।

**माया शर्मा,पंचदेवरी,गोपालगंज(बिहार)**