पानी उतरे पानी खातिर
पानी बिनु बेपानी।
पानी बहि जा पानी चढ़ि जा
पानी बिनु मृत प्रानी।
पानी पा के पनिगर बानी
पानी पी के तरगर।
बानी में गर पानी नइखे
पानी ना हो समदर।
के के बा कतना पानी में
नाप बतावे पानी।
पानी उतरे पानी खातिर
पानी बिनु बेपानी।।
पानी से घट पनघट बाटे
पानी से बा सरवर।
पानी खातिर खटपट बाटे
पानी से लो मनगर।
पानी की गरमी में प्रानी
हो जा पानी पानी।
पानी उतरे पानी खातिर
पानी बिनु बेपानी।।
पानी जब मिलि जा पानी से
बनि जा सात समंदर।
पानी बटि जा जब शानी के
आग भरे तर अंदर।
पानी से इतिहास बनेला
पानी से खंदानी।
पानी उतरे पानी खातिर
पानी बिनु बेपानी।।
पानी खोजे करिया कउवा
कंकड़ डालि घड़ा में।
पानी पीये तोता मैना
लोहा के पिंजड़ा में।
कतने लो गड़ही में पीये
डूबि डूबि के पानी।
पानी उतरे पानी खातिर
पानी बिनु बेपानी।।
पानी के बड़ पूछपाछ बा
पानी के बदनामी।
पानी बेंचे हाट बाट में
पानी सस्ता दामी।
बाबू लो घइला से पीये
छान छान के पानी।
पानी उतरे पानी खातिर
पानी बिनु बेपानी।।
जिनिके दाना पानी दिहनीं
उहे पियावे पानी।
पानी पानी में अंतर बा
ठंठा तातल पानी।
पीयत बा लो घूमि घूमि के
घाट घाट के पानी।
पानी उतरे पानी खातिर
पानी बिनु बेपानी।।
अमरेन्द्र सिंह,
आरा, भोजपुर, बिहार।