पीट ढिंढोरा
कहत नकलची
खरा माल बा
पाकिट मारे
रंगल सियरवा
शेर खाल बा
रंगही पैसा
दउरे सरपट
का कमाल बा
रावन जिन्दा
रामनामी ओढ़ के
हाथ नाल बा
दस के बीस
तीन पत्ती तमाशा
छद्म जाल बा
✍️कन्हैया प्रसाद रसिक ~
संरक्षक- “जय भोजपुरी-जय भोजपुरिया”, भोजपुरी पत्रिका- “सिरिजन”,
बंगलोर।