आज के हालात से कुतरा रहलि हऽ जिन्दगी

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भोजपुरी गजल

आज के हालात से कुतरा रहलि हऽ जिन्दगी।
दंभ में तबहूँ भरल इतरा रहलि हऽ जिन्दगी ।।

लोग महफिल में बइठ के बात के माला जपे ।
आँच तलफत साँच के कतरा रहलि हऽ जिन्दगी।।

हिंद के सीमा तरफ बैरी लगा रहलसि नजर,
भीतरी घरभेद से छितरा रहलि हऽ जिन्दगी।।

नेक नीयत नेत से बरताव में मिसिरी घुली।
किन्तु आन्हर स्वार्थ में उतरा रहलि हऽ जिन्दगी  ।।

आन के घर जसन में जादू चलत बा जोम के ।
देख अंटी के वजन तुतरा रहलि हऽ जिन्दगी।।

हैसियत चइली सरीखा लाख के रनिवास में।
मोह माया बंध से लुतरा रहलि हऽ जिन्दगी  ।।

आँख पर पट्टी बन्हाइल  सावनी संजोग में ।
जेठ में चाहीं  चटक पितरा रहल हऽ जिन्दगी ।।

श्री कन्हैया प्रसाद तिवारी ‘रसिक’