भोजपुरी गजल

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लाज उमड़त ह आइल त हम का करीं
तन में यौवन समाइल त हम का करीं

कल तलक बालपन में इ चहकत रहे
अब उमरिए गदाइल त हम का करीं

साँझ से भोर तक रात जोहत बितल
जब न दिअना बुताइल त हम का करीं

रोज सँवरत रहीं खूब उनकी बदे
देख केहू लुभाइल त हम का करीं

इश्क़ की आग में जे जरावे हमें
आँच उनपर धधाइल त हम का करीं

जे न समझल कबो उम्र की पीर के
अब उ खुद ही पिराइल त हम का करीं

नैन चाहत रहे कुछ बतावल मगर
बात नइखे बुझाइल त हम का करीं

रंग दुनिया क जे बा समझ ना सकल
आज दागी कहाइल त हम का करीं

प्यार बगिया न “हरिलाल” सींचत रहे
अब तड़प के झुराइल त हम का करीं

#हरिलाल राजभर ‘कृषक’
‌कुचहरा, बिजपुरा, मऊ, उ० प्र०