जब मंजल साहित्यकार अउरी साहित्य सिरिजन की ओर बढ़त नवांकुर एके संगे कवनो मंच पर आपन रचना के झींसी से सराबोर क देंस त ऊ ओसारि केतना मनोरम होखी? एहि अतवार 28 जुलाई 2019 के राजधानी दिल्ली के “हिन्दी भवन” सभागार में ‘जय भोजपुरी, जय भोजपुरिया’ के पाँचवाँ स्थापना दिवस के मोका पर दुसरका भोजपुरी कवि सम्मेलन के महफ़िल में देखे के भेंटाइल ।
कार्यक्रम के शुरुआत माँ शारदे के सामने गणमान्य अतिथि लोग द्वारा दिया जरा के अंजन जी, भिखारी ठाकुर के फ़ोटो प पुष्पांजलि के साथे साथ रामप्रकाश तिवारी अउरी योगगुरु शशि क बैदिक मंत्रोचारण के साथ सम्पन्न भइल ।
वीणा तिवारी जी के मंगल गीत ‘गाई के गोबर महादेव अंगना लिपाई’ से कवि सम्मेलन के श्री गणेश भइल । पहिला कवयित्री के रूप में कश्मीरा त्रिपाठी जी के बोलावल गइल भोजपुरी भाषा भाषी ना होते हुए भी कश्मीरा जी आपन कविता “देख मुश्किल में ओहिजा परान हो गइल, जेकरा घरवा बिटिया सयान हो गइल”,आर जी श्याम जी के कविता “सोनभद्र का ह जी ? ओहिजा कुछ भइल बा का ?”, युवा कवि अमन पाण्डेय के कविता “बाढ़ आइल बा ये साहब…..”, मैना के सम्पादक श्री राजीव उपाध्याय जी के कविता “गड़ही के पानी नाद में भेटाईल…..”, श्री संजीव त्यागी जी के कविता “बबुवा हमार आइल बाण तिरंगा के ओढ़ के….”, श्री गुरुवेन्द्र जी के कविता “बदल गइल गवुवां…”, कुन्दन जी के कविता “केने जाता दुनियाँ बुझाते नइखे”, भोजपुरी साहित्य सरिता के सम्पादक श्री जे पी द्विवेदी जी के कविता “चल बेकहला हट करेनी….”, भोजपुरी पत्रिका पाती के सम्पादक श्री अशोक द्विवेदी जी के कविता ‘बरिसे रात रात भर पानी’, श्री बिनय शुक्ल विनम्र जी के कविता ,”कब तलक वक्त कर रफ्तार देखी हम. “, श्री केशव मोहन पाण्डेय जी के कविता “नन्दलाल के देखी के लुका गइली राधा ‘, असम से आइल कवि दिलीप पैनाली जी के कविता बिष घोंट के सुधा फेकाता, टीभूक ओर साइफन … ” गोपालगंज से आइल सीरिजन के प्रधान सम्पादक श्री संगीत सुभाष जी के कविता “जे फूल से घाहिल हो जाइ, पत्थर बरसावल ठीक ना ह……”, श्री लाल बिहारी लाल जी के कविता ” जय भोजपुरी जय भोजपुरिया….” दर्शक लोग के खुबे थपरी बटोरलस एकरा अलावा एह कार्यक्रम में आपन कविता से बिनोद गिरी, डॉ राजेश माँझी, श्री राजकुमार अनुरागी,श्री मुन्ना पाठक जी, श्री पंकज तिवारी, श्रीमती ममता जी, श्री संतोष शर्मा जी, श्रीमती समता जी भी आपन कविता से दर्शक के मन के मोहे में कामयाब भइलन ।
कार्यक्रम में भोजपुरी कविता के रसधारा त बहबे कइल साथे-साथे आपन बोली-भाषा के संरक्षण-संवर्द्धन पर चरचा भइल, कइसे एकर मान-सम्मान आ गुणवत्ता बढ़ावल जाव, एहू प सार्थक बिमर्श भइल।
बाहर सड़क पर बम-बम भोले के उद्घोष रहे त भीतर हिन्दी भवन के सभागार में भोजपुरी कविता के सुननिहार लो वाहवाही आ चेहरा प आइल तोस के भाव कार्यक्रम के सफलता के सबूत रहे।
पूरे कार्यक्रम के दौरान दर्शक आपन-आपन सीट पर खाली जमले ना रहलन बलुक थपरी बजाके कवि लोगन के प्रोत्साहित कइलन । मातृशक्ति अउरी नवका पीढ़ी के उपस्थिति ई बतावे ख़ातिर काफ़ी बा कि भोजपुरी भाषा-भाषी अब जाग गइल बाड़न। जरूरत बा एह उर्जा के सही दिशा में उपयोग करे के ।
रिपोर्ट : तारकेश्वर राय