भोजपुरी गजल
पिरितिया जमीं पर मिलेला न अइसे ।
कुसुम बन निजन में खिलेला न अइसे ।।
इहाँ लोग मालिक अचानक भइल बा।
बिना पाँव मरले चलेला न अइसे ।।
शरारत बदन में बचन में खरापन ।
वतन से हिकारत खलेला न अइसे ।।
पुरनका सिकाइत मिटावल जरूरी ।
बिना खोल तुरले ढ़लेला न अइसे ।।
सजन से सनेसा सुबह साम आवे ।
सुमिरनी धरम के हिलेला न अइसे ।।
मनस में महोत्सव मनावल अवस बा
चमन में चमेली फुलेला न अइसे ।।
मुहब्बत सम्हारल कठिन बात होला ।
पवन वेग दियरी जलेला न अइसे ।।
~ कन्हैया प्रसाद रसिक ~