प्रीत – मन के भाव

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प्रीत मन के भाव ह, एकर बेयपार ना होला !
ई दिल के नगदी स‌उदा हऽ, उधार ना होला !!

कवनो प्रीत कबहूं, चेहरा ना चाहेला चीकन !
ई त बस हो जाला, एगो दिल देख के नीमन !!

केहू बेमारी कहे, केहू दवाई कहेला दिल के !
केहू होशवो भूला जाला, प्रीत से मिल के !!

प्रीत भ‌ईला पर, जग के रीत कहां सूझेला !
प्रीत के रीत, जग में सभे कहां बूझेला !!

प्रीत जब – जब दूगो दिल में भ‌ईल बा आबाद!
अमर भ‌इल नाम, हीर-रांझा आ सीरी-फरहाद !!

प्रीत के रीत बूझल तऽ, प्रीत के समझदारी ह !
प्रीत के रीत निभावल, प्रीत के वफादारी ह !!

  • संजय कुमार ओझा
    ग्राम + पो – धनगड़हां
    जिला – ‌छपरा , बिहार