“राम खेलावन”
जहवाँ देखस झींटे लायक
उहवाँ ई जल्दी से लपकस।
जहवाँ देखस फँसल झगरा,
उहवाँ त जल्दी से टपकस।।
ट्रेन में बिना टिकट के चढ़sस
हर टीशन पर झाँकत रहsस।
मूंगफली के फोर-फोर के,
धीरे-धीरे फाँकत रहsस।।
देखस टी.टी.ई के आवत,
मूंगफली पॉकिट में ठूँसस।
तेजी से तब पाँव बढ़ावस,
ट्वायलेट में जल्दी से घूसस।।
रोब बनाके अइसन राखस,
जल्दी केहू शक ना करे।
लागस बड़का नेता जइसन।
उनका से बकझक ना करे।।
भले ना जानस A-B-C-D
अंग्रेजी अखबारे पढ़स।
शासक दल के नेता बन के,
प्रतिपक्ष पर दोस उ मढ़स।।
एक समय चकमा खा गइले,
जानsतानी काथी कइले?
देख अचानक टी.टी.ई के,
तनियक उ घबड़ा सा गइले।।
नेता जइसन मूड बनाके,
जब अखबार उलट के धइले।
समझ गइल टी.टी.ई उनके
जइसे पढ़ल शुरू कइले।।
‘शो योर टिकेट’ जब उ कहलस,
ई त कुछ बुझबे ना कइले।
जेही तरे ऊ पढ़त रहले,
ओही तरे पढ़ते रह गइले।।
समझ गइल टी.टी.ई इनके,
कहलस रउआ नीचे आईं।
फाइन दीं जल्दी से रउआ,
नातs सीधे जेल हीं जाईं।।
पइसा त धइले ना रहले,
हँसते-हँसते जेले गइले।
तीन महीना मजे से रह के,
जेल के खिंचड़ी डँट के खइले।।
अखिलेश्वर मिश्र