लागे आइ गइल मधुमास

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भोजपुरी गीत

पहिन पियरकी चूनर धरती, भरिके हिये हुलास।
लमहर डेगे चलली बान्हे, भरि अँकवारि अकास।
लागे, आइ गइल मधुमास।

गोदी के हरसित, हरियर संतान देखि इतराली
गेहूँ,मकई,मटर,रहर, फल-फूल,लदाइल डाली
रंग उड़ावत,नाचत,गावत,बाँटत,छिटत सुबास।

लता,बिरिछ,पतइन-पतइन, उमड़ल मदमस्त जवानी
मोंजरि मँहके आम डाढ़ि, महुआ के कोंच निसानी
राह रोकि भँवरा तितली के, लगल करे परिहास।

बइठि पुताली पीपर पर कोइलि गावेले गाना
ओस छीटि जा अधिरतिया चहुँओरी मोतीदाना
ठिठुरत गात बिहाने-साँझे, दिन सुख देत प्रकाश।

आँखि मारि, तनि घूघ टारि, सजनी जब करत इशारा
भूलि जात सुधि-बुधि साजन,अकुलात कटे दिन सारा
पथरो से रस बरिस – बरिसके, मँहका देला साँस।

संगीत सुभाष,
मुसेहरी बाजार, गोपालगंज।