** सब केहू के परनाम आ जय भोजपुरी **
जय हो जुकरबर्ग की। जय हो सोशल मीडिया की। तू ना रहतS त हमार जन्मदिन के मनाइत, ए बाबा ? बधाई के देइत? सौ बात के एक बात हमरा पता कइसे चलित कि आज हमार जन्मदिन ह? बन्धु बान्धव के नोटिफिकेशन दे- देके के कहित कि आज इनकर जन्मदिन ह? बधाई- ओधाई दे दS भाई ।
राउर जन्मदिन राउर माई बतवले होई, लेकिन हमार जन्मदिन हमार गुरूजी हमके बतवलन, साल- महीना, टोला- पड़ोसा । बा न बिल्कुल यूनिक जन्मदिन? तनी अलगा किसिम के, बिल्कुले लीक से हट के?
हमरा याद नइखे सोशल मीडिया के चलन के पहिले हमार जन्मदिन कबो मनल होखी …..आम दिन की तरह ही आवे आ निकल जाव, कुल दिन नियन ही….भा वोह दिन कुछ विशेष भइल होखे ..केक भ गिफ्ट उफ्ट टाइप……… कुछ।
अब जन्मदिन के मोका पर आइल सन्देश, कॉल के जबाब देहल, धन्यवाद कहल, आभार ब्यक्त कइल कुल आम दिन से एके तनकी अलगा बना देला आउर आज के दिन हमरा जिनिगी में कुछ खास हो रहल बा एकर एहसास, बस हमरा खातिर जन्मदिन के इहे मतलब रहल बा अब तक..आगे राम जाने ………।
भगमान बानीं। पचपन बसन्त कटला के बादो ऊर्जा में कवनो कमी महसूस ना होला। बहार अबहियों मुँह नइखे मोड़ले जीनिगी से। गम से अधिका खुशी ही रहल बा जिनिगी में …पतझड़ से खुशी के चमन अभी बाचल बा …… लमहर समय लागो परमपिता से इहे अरदास रही।
पाछे मुड़ के देखिना आ सोचिना कि का मिलल ? का भुलाइल ? त ….. कहल आ हिसाब मुश्किले बुझाला । अब तक का सीखनीं ? का जनलीं ? …..महानगरन में जिंदगी काटत ई त बुझाता कि कवनो चीज बा जेकरा जनला बगैर कुल चीज जानल बेकारे बा। ओ के पवले बिना कुल पावल निर्रथक ही बा ।
सब कुछ समझ के एतना त समझ में आ गइल ….. कि अदमी के तनिका बेवकूफ त होखहीं के चाहीं…तनकी मासूमियत गँवईपन अउरी आदमियत बचल रह जा.. बस आउर का चाहीं ?
जीवन में बस एतने भेटा जाव त हम मान लेब कि जीवन सुफल हो गइल।
आज बिधना के दिहल शरीर एक साल अउरी पुराना हो गइल, उमिर के गिनती एगो अउरी बढे के एहसास के रवुआ सब स्नेही, शुभचिंतक, मित्र, बन्धु, बान्धव, गुरुजन मिलके एकदम शानदार बना दिहनीं जा ।
शब्दन के भी आपन सीमा बा..आभार जइसन औपचारिक शब्द कहल उचित त नाहिंये कहाई।
हमार रोवाँ रोवाँ राउर कर्जदार बा कि अपना दिनचर्या से कुछ समय हमरा खातिर निकलनीं, हो सकता हम ना निकलले होखब । रउआ आपन स्नेह के बतवनीं फोन से, व्हाट्सएप से, मैसेज कइनीं, मेल भेजनीं.. फेसबुक पर हमरा के स्नेह देत पोस्ट कइनीं …शुभकामना देहनीं…. कुल्हिये हमरा लागे आ गइल बा। हमरा खातिर अमूल्य निधि बा। हम दसो नोह जोर के क्षमा चाहब अगर ब्यक्तिगत रूप से रउरा सन्देश के जबाब ना दे पवनीं……… राउर फोन कॉल एटेंड ना क पवनीं भा जबाब देवे में चूक गइनीं ……. ब्यावसायिक ब्यस्तता ही मजबूरी रहे।
एक बार फेरु से…… हमरा जन्मदिन के अवसर पर निस्वार्थ भाव से रउरा स्नेह अर्पित कइला खातिर…………. रउरा भाव के नमन।
रउरे,
तारकेश्वर राय “तारक”