हम फेस बुक के विद्वान हईं।
लोगो तस्वीर लगाइना,
तुक्का तीर चलाइना,
खुद के बीर बताइना,
हम लायक हईं-
गायक हईं-
महानायक हईं-
हम धरती से ऊपर आसमान हईं।
हम फेसबुकिया बिद्वान हईं।
हम गीत ग़ज़ल छंद लिखिना,
दोहा चउपाई बंद लिखिना,
सवइया मत्तगयंद लिखिना,
हम एमे हईं ओमे हईं-
आलिम हईं फाजिल हईं-
सभसे बड़का काबिल हईं-
मने मने हम मानिना कि महान हईं।
हम फेसबुक के विद्वान हईं।
हम ग्रंथ हईं,
सर्वेसर्वा अनंत हईं,
भोजपुरी के महंथ हईं,
कतने ग्रुप चलाइना-
लोग के भरमाइना-
आपन बनाइना-
हम एडमीन ,माॅडरेटर, समीक्षक-
आने कि परम प्रधान हईं।
हम फेसबुक के विद्वान हईं।।
ई प्रयोग ना,
एगो संजोग बा,
कि हमरा संगे लोग बा,
वाह ! वाह !! करेवाला-
हमरा वाॅल प रहेवाला-
हमरा रचना प मरेवाला-
हमार सभ गुन देखला प
लागत बा कि गुणवान हईं।
हम फेसबुक के विद्वान हईं।
अमरेन्द्र कुमार सिंह,
आरा, भोजपुर, बिहार।