सारललित छंद!

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छन्नपकैया छन्नपकैया , भोरे भोरे जागी।
चौखट के पल्ला डोले जब,आहट सुनिके भागी।।

छन्नपकैया छन्नपकैया, कोयल कूहूँ बोले।।
लाली सुर्खी लेके सूरज,बाग बगैचा डोले।।

छन्नपकैया छन्नपकैया, कविवर कहले बानी।
बीत गई सो बात गई अब,आगे सोच दिवानी।।

छन्नपकैया छन्नपकैया , जाड़ करे अठखेली।
शीतलहर बा ओंस बहुत बा,मंद मलय अलबेली।।

छन्नपकैया छन्नपकैया,साग भरल बा दोना।।
सरसों के पियरी मनभावन, हरिहर पात प सोना।

छन्नपकैया छन्नपकैया , माई सेके रोटी।
सरला, सलमा,गौरी, सोनी, खेले गोटी गोटी।।

छन्नपकैया छन्नपकैया, छागल बा मतवाली।
पनपीयाही लेके भौजी, दुपहरिया में जाली।।

छन्नपकैया छन्नपकैया, गीत मधुर गावेनी।
सांझ सबेरे बैलन के लेदी, बाबूजी काटेनी।।

छन्नपकैया छन्नपकैया, बाटे अब परखाई।
रोप चुकल बानी सब बाली,अगहन धान कटाई।।

छन्नपकैया छन्नपकैया, नन्की खुशी मनाई।
हमनी के जब धान कटाई,खाई दूध मलाई।।

अनीताशाह, नेपाल।