प्रभु रउआ से का छिपल, जानीले सब बात।
रउए सूरज चाँद हईं, अउर हईं दिन रात।।
रउआ से का हम कहीं, सब ह रउरे चीज।
चाहे बड़ा पहाड़ हो, चाहे होखे बीज।।
फिर भी हमनीं के इहाँ, लालच बाटे ढेर।
सभे इहाँ चाहे इहे, जल्दी बनीं कुबेर।।
हे प्रभु माँफ करीं हमें, मिटा दिहीं सब क्लेश।
राउर ई सेवक सभे, विनती करे अशेष ।।
रउआ से बिनती इहे, हे करुणा के खान।
रक्षा करीं जहान के,रउआ जगत निधान।।
✍️अखिलेश्वर मिश्र