जबे ले ई मौसम सफा हो गइल बा

0
656

गजल

जबे ले ई मौसम सफा हो गइल बा।
सियासत तबे से खफा हो गइल बा।

घुकुड़ के कबो जे रहन माल चाभत,
दुलम टेंगनी के गफा हो गइल बा।

झरलि हऽ झुराइल अताई-पताई,
अलहदिन खती इस्तफा हो गइल बा।

कुहुकिनी त बोलल जिया ही दुखल हऽ,
सजन के नजर बेवफा हो गइल बा।

अबे आँखि खोललि हऽ मूनल कली ई,
लफुअवन बदे तोहफा हो गइल बा।

न गरिमा के चिंता न बाते सहज बा,
फिकिर ईजतो के दफा हो गइल बा।

जिया जार कुटनी बिलँगटे घुमत हऽ,
दलालन बदे तऽ जफा हो गइल बा।

दिनेश पाण्डेय ।