सखी री ब्रज में उड़तऽ गुलाल।।
फाग खेलत श्रीराधामोहन-
संग चले ग्वाल बाल ।
बाजत झाँझ मृदंग शनाई-
निकसत अनहद ताल ।
सखी री ब्रज में•••••••।।
भरि कुमकुम केसर पिचकारी-
उलिचत अंजुरी गुलाल।
बाबा नंद आनंद मगन भयो-
जमुना जल लाले लाल।
सखी री ब्रज में•••••••।।
लक्षमी संग कमलानन खेले-
गउरा कॆ संग महाकाल।
विद्या संग चतुरानन खेले-
भयो तीन लोक धमाल।
सखी री ब्रज में••••••••।।
बउराये तनमन नर-नारी-
सकल जगत खुसहाल।
‘अमरेन्दर’ लिखे मंगल होरी-
हो शुभ नवका साल।
सखी री ब्रज में•••••••।।
अमरेंद्र कुमार सिंह,
आरा, भोजपुर, बिहार।