भजन

0
639

सारी साया लहँगा रंगनी
रंगनी चुनरिया-
मन ना रंगाइल रे सँवरिया।।

ब्रत उपवास कइनी नित अरदास करनी।
बसनी गंगा के कगरिया
मन ना रंगाइल•••••••••।।

रात दिन मंत्र पढ़ि के,हम चतुमास कइनी।
रहनी माया के बजरिया-
मन ना रंगाइल ••••••।।

घीव बाती दिया जारि बहरी प्रकास कइनी।
रखनी भीतर में अन्हरिया-
मन ना रंगाइल•••••••।।

सोना के काया पाई नकली बिलास कइनी।
भुलनी स्वामी के नगरिया-
मन ना रंगाइल••••••।।

✍️ अमरेन्द्र कुमार सिंह,
आरा, भोजपुर, बिहार।