कउना रे सुगनवा के
पनिया पियवली
कउना रे बछियवा के घास
कउना रे बटोहिया पे
मनवा लोभाइ गइल
जागल सपनवा में आस
कउना रे पंडितवा से
दिनवा धराइ गइल
लागे नाहीं भुखिया पियास
कवना रे बहेलिया के
गड़ि गइल नजरिया
चिरई कै जियरा उदास
✍श्लेष अलंकार,
बस्ती, उ.प्र.।