आपन भाषा भोजपुरी
देला उजियार सभके सरधा -सबूरी।
माटी के महक आपन भाषा भोजपुरी।
अइसन मिठास आ महक ए में भरल बा।
जे अपनावल फुलाइल – फरल बा।
केतना लोग पावल एही से मसहूरी
माटी के महक आपन भाषा भोजपुरी।
आदर मान सब केहू एही से पावल।
माटी के महक विदेश तक पहुँचावल ।
कोशिश रही त सगरो आस इहे पूरी।
माटी के महक आपन भाषा भोजपुरी।
मन होला खुश ए में बोलि -बतिया के।
ढेर लोग महान भइल एही में समा के।
मिटा देला भेद भाव आपस के दूरी।
माटी के महक आपन भाषा भोजपुरी।
इहे बा निहोरा “कवि बाबूराम ” के,
आगे बढ़ाईं भोजपुरी का नाम के।
आलस हटाईं आईं आगे जरूरी।
माटीके महक आपन भाषा भोजपुरी।।
बाबूराम सिंह कवि
ग्राम -खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)
जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन-८४१५०८