बाल कविता

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भालू नाचे छम छम छम।
डमरू बाजे डम डम डम।।

आगे आगे गप्लू पप्लू।
पाछे पाछे डब्लू बब्लू।
नागर धीना बजे नगारा-
ढ़ोलक बाजे ढम ढम ढम।
भालू नाचे•••••।।

लाल मिरजई पीयर धोती।
भालू के सिर हरियर टोपी।
झूम झूम के नाच देखावे-
बजे मजीरा झन झन झन।
भालू नाचे•••••।

भालू के गर में बा माला।
कान में बाली गोड़ में बाला।
रेसम डोरी खिंचे मदारी
चमके चाँदी चम चम चम।
भालू नाचे•••••।।

अमरेन्द्र कुमार सिंह,
आरा (भजपुर), बिहार।