मीठ बोली सभका दिल में उतरि जाला

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जे बोलेला ओकर जिनगी सँवरि जाला।
मीठ बोली सभका दिल में उतरि जाला।

हरदम रहेला जे साँच में समाइ के
लूर आ सहूर से नीक बोली सजाइ के।
नीक लागे भाव द्वेष दम्भ जरि जाला।
मीठ बोली सभका दिल में उतरि जाला।।

झूठ निन्दा कटु से जे राखे परहेज हो,
जिनगी हो जाला सरग सुखवा के सेज हो।
देह अंग -अंग खुशियन से भरि जाला।
मीठ बोली सभका दिल में उतरि जाला।।

बोली अनमोल आपन बोली सम्हारि के,
कुछू लिखीं पढी़ं कहीं सोचि के विचारि के।
एही से जिनगी फुलाला अउरी फरि जाला।
मीठ बोली सभका दिल में उतरि जाला।।

बोली पर लगाम रही बनी सब काम हो,
जग यश नाम होई “कवि बाबूराम “हो।
दुख -दरद सगरो बोलिए से टरि जाला।।
मीठ बोली सभका दिल में उतरि जाला।।
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बाबूराम सिंह कवि
खुटहाँ, विजयीपुर, गोपालगंज
(बिहार) पिन -८४१५०८
मो०नं०-९५७२१०५०३२९
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